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पालि-संवादो (Pali samvado) magazine 1st issue : Editor-Dr. Prafull Gadpal


























Comments

  1. सर खूप छान अंक आणि तो ही पाली मध्ये । एक पेज पाली मराठी डिक्शनरी साठी असू द्या।

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  2. Can not subscribe to the YouTube channel. Please share the link. Thanks.

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    Replies
    1. https://www.youtube.com/channel/UCmuV4uBdNsiZe8NbfnfdMoA

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  3. डॉ प्रफुल्ल गड़पाल जी
    जय भीम
    आपके द्वारा पाली भाषा का प्रचार और प्रसार का काम सराहनीय है आने वाले दिनों में आने वाली सभी के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण काम है मैं चाहता हूं कि आप जैसे लाखों करोड़ों ऐसे पाली के अध्यापक हो वह पाली भाषा संवर्धन के लिए पाली का प्रचार और प्रसार करने के लिए अपना तन मन धन अर्पित करते हुए पाली भाषा को फिर से जन्म भाषा लोक भाषा बनाने के लिए अपना पूरा योगदान दे रहे हैं यह काम बहुत ही सराहनीय है आपको आपके जीवन में बहुत सारी खुशियां मिले मैं भी अपने भविष्य में जीवन में समर्पित हूं धम्म ओके काम के लिए काम कर रहा हूं लिख रहा हूं प्रयास जारी है लेकिन हर एक को इस प्रकार से हटके काम करना बहुत ही आवश्यक है जो किए यह आपका काम बहुत ही अलग है बहुत ही सराहनीय है इस काम को मैं आपको बहुत सारी ढेर सारी शुभकामनाएं मंगलकामनाएं मैं प्रकट करता हूं और आने वाले दिनों में आपको इस प्रकार की आशा करता हूं कि आपका काम आगे बढ़े यह कारवां आगे बढ़े भवतु सब्ब मंगलम

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Pali alphabets By Dr. Prafull Gadpal

Pali Alphabet

पालि-व्याकरण-परम्परा में कच्चान-व्याकरण का वैशिष्ट्य और महत्त्व- डॉ. प्रफुल्ल गड़पाल Prafull Gadpal

पालि- व्याकरण-परम्परा में कच्चान-व्याकरण का वैशिष्ट्य और महत्त्व - डॉ. प्रफुल्ल गड़पाल ( सहायकाचार्य) राष्ट्रिय-संस्कृत-संस्थानम्, श्रीरघुनाथ-कीर्ति-परिसर , देवप्रयाग (उत्तराखण्ड) पालि 1 भाषा भारत 2 की एक अत्यन्त प्राचीन भाषा है। जन-जन के दुःखों की मुक्ति तथा मांगल्य के पुनीत-उद्देश्य से भगवान् बुद्ध ने अपने उपदेश इस भाषा के माध्यम से प्रदान किये। 45 वर्षों तक लोक-कल्याण का यह सिलसिला अबाध गति से चलता रहा और भगवान् बुद्ध ने इस कालावधि में खूब लोक-मंगल किया। भगवान् के महापरिनिब्बान के पश्चात् सम्पन्न धम्म-संगीतियों के माध्यम से बुद्धवाणी का संगायन और सङ्कलन किया गया , जो तिपिटक के रूप में हम सबके समक्ष प्रत्यक्षतः उपस्थित है। स्पष्ट ही है कि यह सम्पूर्ण तिपिटक-साहित्य भी पालि-भाषा में ही उपलब्ध होता है। तिपिटक साहित्य के अन्तर्गत तीन पिटक अन्तर्भूत होते हैं — 1. विनय-पिटक , 2. सुत्त-पिटक और 3. अभिधम्म-पिटक। इस साहित्य के अतिरिक्त पालि में अनुपिटक साहित्य भी उपलब्ध होता है तथा तिपिटक की अट्ठकथा , टीका , अनुटीका और भाष्यादि विपुल साहित्य इसमें प्राप्त होता है। उपर्युक्त